Friday, 30 March 2018

हनुमान जयंती विशेष: हर मनोकामना पूरी करते हैं लेटे हनुमान जी


~ हनुमान जी के सिद्धिदायक दिव्य मन्त्र ~
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श्री हनुमान् जी का यह मंत्र समस्त प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है । मन्त्र सिद्ध करने के लिए हनुमान जी के मन्दिर में जाकर हनुमान जी की पंचोपचार पूजा करें और शुद्ध घृत का दीपक जलाकर भीगी हुई चने की दाल और गुड़ का प्रसाद लगाकर निम्न मंत्र का जप करें । कार्य सिद्ध ले लिए एक माला का जप प्रतिदिन ११ दिन तक करे और अंत में दशमांश हवन करें ।

“ॐ नमो हनुमते सर्वग्रहान् भूत भविष्यद्-वर्तमानान् दूरस्थ समीपस्यान् छिंधि छिंधि भिंधि भिंधि सर्वकाल दुष्ट बुद्धानुच्चाट्योच्चाट्य परबलान् क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय । ॐ नमो हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् । देहि ॐ शिव सिद्धि ॐ । ह्रां ॐ ह्रीं ॐ ह्रूं ॐ ह्रः स्वाहा ।..

महावीर मंत्र
ध्यान

रामेष्टमित्रं जगदेकवीरं प्लवंगराजेन्द्रकृत प्रणामम् ।
सुमेरु श्टंगागमचिन्तयामाद्यं हृदि स्मेरहं हनुमंतमीड्यम् ।।
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हनुमान जी का उक्त ध्यान करके निम्न मंत्र का २२ हजार जप करके केले और आम के फलों से हवन करें । हवन करके २२ ब्रह्मचारियों को भोजन करा दें । इससे भगवान् महावीर प्रसन्नता-पूर्वक सिद्धि देते हैं ।

” ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।”
हनुमन्मन्त्र (उदररोग नाशक मंत्र)

“ॐ यो यो हनुमंत फलफलित धग्धगित आयुराषः परुडाह ।”
उक्त मन्त्र को प्रतिदिन ११ बार पढ़ने से सब तरह के पेट के रोग शांत हो जाते हैं ।

हनुमान्माला मन्त्र

श्री हनुमान जी के सम्मुख इस मंत्र के ५१ पाठ करें और भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर पास में रखलें तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है ।
“ॐ वज्र-काय वज्र-तुण्ड कपिल-पिंगल ऊर्ध्व-केश महावीर सु-रक्त-मुख तडिज्जिह्व महा-रौद्र दंष्ट्रोत्कट कह-कह करालिने महा-दृढ़-प्रहारिन लंकेश्वर-वधाय महा-सेतु-बंध-महा-शैल-प्रवाह-गगने-चर एह्येहिं भगवन्महा-बल-पराक्रम भैरवाज्ञापय एह्येहि महारौद्र दीर्घ-पुच्छेन वेष्टय वैरिणं भंजय भंजय हुँ फट् ।।” (१२५ अक्षर)

हनुमद् मंत्र
इस मन्त्र का नित्य प्रति १०८ बार जप करने से सिद्धि मिलती है -
” ॐ एं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंका विध्वंसनपायांनीगर्भसंभूताय शकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलि किलि बुवुकरेण विभीषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रौं ह्रां फट् स्वाहा ।”

हनुमद् उपासना मन्त्र

इस मन्त्र का पाठ ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके करना चाहिए । अष्टगंध से “ॐ हनुमते नमः” ये लिखकर हनुमान जी को सिन्दूर और चमेली का शुद्ध तेल केशर और लाल चन्दन का गंध लगायें । कमल, केवड़ा और सूर्यमुखी के फूलों से पूजन करें । इस प्रकार “देवशयनी एकादशी” से “देवोत्थनी एकादशी” तक नित्य पूजन करें । तुलसी-पत्र पर ‘राम-राम’ लिखकर भी चढ़ायें । इस प्रयोग से हनुमान जी प्रसन्न होकर अभीष्ट सिद्धि प्रदान करेंगे ।

ॐ श्री गुरवे नमः
‘ ॐ जेते हनुमंत रामदूत चलो वेग चलो लोहे की गदा, वज्र का लंगोट, पान का बीड़ा, तले सिंदूर की पूजा, हंहकार पवनपुत्र कालंचचक्र हस्त कुबेरखिलुं मरामसान खिलुं भैरव खिलुं अक्षखिलुं वक्षखिलुं मेरे पे करे घाव छाती फट् फट् मर जाये देव चल पृथ्वीखिलुं साडे वारे जात की बात को खिलुं मेघ को खिलुं नव कौड़ी नाग को खिलुं येहि येहि आगच्छ आगच्छ शत्रुमुख बंधना खिलुं सर्व-मुखबंधनाम् खिलुं काकणी कामानी मुखग्रह-बंधना खिलुं कुरु कुरु स्वाहा ।’

हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्

‍१- “ॐ नमो हनुमते पाहि पाहि एहि एहि सर्वभूतानां डाकिनी शाकिनीनां सर्वविषयान आकर्षय आकर्षय मर्दय मर्दय छेदय छेदय अपमृत्यु प्रभूतमृत्यु शोषय शोषय ज्वल प्रज्वल भूतमंडलपिशाचमंडल निरसनाय भूतज्वर प्रेतज्वर चातुर्थिकज्वर माहेशऽवरज्वर छिंधि छिंधि भिन्दि भिन्दि अक्षि शूल कक्षि शूल शिरोभ्यंतर शूल गुल्म शूल पित्त शूल ब्रह्मराक्षस शूल प्रबल नागकुलविषंनिर्विषं कुरु कुरु स्वाहा ।”

२- ” ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।”
इस मंत्र को २१ दिनों तक बारह हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान का दशांश आहुति दें । यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है ।

३- “ॐ दक्षिणमुखाय पञ्चमुखहनुमते कराल वदनाय नरसिंहाय, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रै ह्रौं ह्रः सकल भूत-प्रेतदमनाय स्वाहा ।”
(जप संख्या दस हजार, हवन अष्टगंध से)

४- “ॐ हरिमर्कट वामकरे परिमुञ्चति मुञ्चति श्रृंखलिकाम् ।”
इस मन्त्र को दाँये हाथ पर बाँये हाथ से लिखकर मिटा दे और १०८ बार इसका जप करें प्रतिदिन २१ दिन तक । लाभ – बन्धन-मुक्ति ।

५- “ॐ यो यो हनुमन्त फलफलित धग्धगिति आयुराष परुडाह ।”
प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर इस मंत्र का २५ माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस मंत्र के द्वारा पीलिया रोग को झाड़ा जा सकता है ।

६- “ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्स्फ्रें ख्फ्रें ह्स्त्रौं ह्स्ख्फ्रें ह्सौं ।”
यह ११ अक्षरों वाला मंत्र अति फलदायी है, इसे ११ हजार की संख्या में प्रतिदिन जपना चाहिए ।

७- ” ॐ ह्रां ह्रीं फट् देहि ॐ शिवं सिद्धि ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं स्वाहा ।”

८- ” ॐ सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा ।”

९- ” हं पवननन्दाय स्वाहा ।”

१०- “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।” (१८ अक्षर)

११- “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।” (१२ अक्षर)

१२- “ॐ नमो हनुमते मदन क्षोभं संहर संहर आत्मतत्त्वं प्रकाशय प्रकाशय हुं फट् स्वाहा ।”

१३- “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय अमुकस्य श्रृंखला त्रोटय त्रोटय बन्ध मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा ।”

१४- “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।”

१५- “ॐ हनुमते नमः । अंजनी गर्भ-सम्भूतः कपीन्द्र सचिवोत्तम् । राम-प्रिय नमस्तुभ्यं, हनुमन् रक्ष सर्वदा । ॐ हनुमते नमः ।”

१६- “ॐ हनुमते नमः । आपदाममपहर्तारं दातारं सर्व-सम्पदान् । लोकाभिरामः श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् । ॐ हनुमते नमः ।”

१७- “ॐ हनुमते नमः । मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन । शत्रून् संहर मां रक्ष, श्रियं दापय मे प्रभो । ॐ हनुमते नमः ।”

१८- ” ॐ हं पवननन्दाय स्वाहा ।”

१९- “ॐ पूर्व-कपि-मुखाय पञ्च-मुख-हन

कनकधारा यंत्र


आज के युग में हर व्यक्ति अतिशीघ्र समृद्ध बनना चाहता हैं। धन प्राप्ति हेतु प्राण-प्रतिष्ठित कनकधारा यंत्र के सामने बैठकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं। इस कनकधारा यंत्र कि पूजा अर्चना करने से ऋण और दरिद्रता से शीघ्र मुक्ति मिलती हैं। व्यापार में उन्नति होती हैं, बेरोजगार को रोजगार प्राप्ति होती हैं।
श्री आदि शंकराचार्य द्वारा कनकधारा स्तोत्र कि रचना कुछ इस प्रकार कि हैं, जिसके श्रवण एवं पठन करने से आस-पास के वायुमंडल में विशेष अलौकिक दिव्य उर्जा उत्पन्न होती हैं। ठिक उसी प्रकार से कनकधारा यंत्र अत्यंत दुर्लभ यंत्रो में से एक यंत्र हैं जिसे मां लक्ष्मी कि प्राप्ति हेतु अचूक प्रभावा शाली माना गया हैं।
कनकधारा यंत्र को विद्वानो ने स्वयंसिद्ध तथा सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्रदान करने में समर्थ माना हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य ने दरिद्र ब्राह्मण के घर कनकधारा स्तोत्र के पाठ से स्वर्ण वर्षा कराने का उल्लेख ग्रंथ शंकर दिग्विजय में मिलता हैं।

कनकधारा मंत्र:- ॐ वं श्रीं वं ऐं ह्रीं-श्रीं क्लीं कनक धारयै स्वाहा


हनुमान चालीसा का पाठ



जो साधक विधिपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करते है उनको कभी भी धन या पैसों का अभाव नहीं रहता है.

- हनुमान चालीसा माँ दुर्गा की तरह शत्रुनाशक है.


- हनुमान चालीसा बुरी आत्माओं को दूर करता है. कितनी भी खतरनाक और बुरी आत्मा हो लेकिन हनुमान चालीसा से वो काबू में आती ही आती है और साधक को परेशान करना छोड़ देती है हमेशा के लिए.

- हनुमान चालीसा का प्रभाव शनि प्रकोप से भी साधक की रक्षा करता है.

- घर में या मिया बीवी में कोई अनबन चल रही हो और दूर न होकर बात बढती जा रही हो तो हनुमान जी की क्रपा से सब काबू में आ जाता है. बस विधि पूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ कीजिये.